क्षमा करो मां भारती हमें,
हम बहुत शर्मिंदा हैं,
तुझको घायल करके वो अभी तक क्यों जिन्दा हैं,
जिन्दा हैं वो सभी दरिन्दे,
घूम रहे है शान से,
करते रहते खिलवाड़ हमेशा,
जो तुम्हारी आन से…..
सहमा है गणतंत्र हमारा,
तिरंगा है डरा हुआ,
रक्षक ही भक्षक बने है,
स्वाभिमान है मरा हुआ,
सत्ता के नशे में आज,
दिल्ली मस्त हो चली है
तुझे घायल देखने को,
जनता अभ्यस्त हो चली है,
क्षमा करो मां भारती हमें,
हम बहुत शर्मिंदा हैं,
क्योकि तुझको घायल करके,
वो अभी तक जिन्दा हैं,
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